tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post1334185806555026180..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: कल कल छल छल बहती वाणी Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-77752867903127891882012-08-27T01:16:07.298-07:002012-08-27T01:16:07.298-07:00कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें, टिप्पणी लिखने में क...कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें, टिप्पणी लिखने में कठिनाई होती है.Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-80880258715693629802012-08-27T01:15:10.441-07:002012-08-27T01:15:10.441-07:00सदा जी, इमरान, रमाकांत जी, व मंटू जी, आप सभी का स्...सदा जी, इमरान, रमाकांत जी, व मंटू जी, आप सभी का स्वागत व आभार ! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-9043237928276883902012-08-26T11:43:34.265-07:002012-08-26T11:43:34.265-07:00बहुत ही सार्थक प्रस्तुति...|बहुत ही सार्थक प्रस्तुति...|मन्टू कुमारhttps://www.blogger.com/profile/00562448036589467961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-39917463097838643762012-08-25T20:28:26.668-07:002012-08-25T20:28:26.668-07:00मानव जन्म दुर्लभ है, और उससे भी दुर्लभ है सत्य को ...मानव जन्म दुर्लभ है, और उससे भी दुर्लभ है सत्य को जानने की जिज्ञासा.<br /><br />निर्मल भाव Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-16255012193645699272012-08-25T03:13:55.466-07:002012-08-25T03:13:55.466-07:00स्वर्ण मृग की तरह व्यर्थ की कामनाएं हमारे जिस मन क...स्वर्ण मृग की तरह व्यर्थ की कामनाएं हमारे जिस मन को अपने पीछे लगाये रहती हैं, वह मन मर्यादा में रहना सीखे.....बहुत सुन्दर व ज्ञानमय आलेख Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-76121031815397293052012-08-24T22:24:50.094-07:002012-08-24T22:24:50.094-07:00स्वर्ण मृग की तरह व्यर्थ की कामनाएं हमारे जिस मन क...स्वर्ण मृग की तरह व्यर्थ की कामनाएं हमारे जिस मन को अपने पीछे लगाये रहती हैं, वह मन मर्यादा में रहना सीखे.<br />बिल्कुल सही ... बेहतरीन प्रस्तुति।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com