tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post1648157464810199094..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: चलें मूल की ओर Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-35241528564136818672013-08-27T06:32:03.607-07:002013-08-27T06:32:03.607-07:00 जब तक चिन्तन और मनन के साथ निदिध्यासन नहीं जुडता ... जब तक चिन्तन और मनन के साथ निदिध्यासन नहीं जुडता तब तक आदर्श मात्र कागज़ पर ही है । प्रशंसनीय प्रस्तुति ।शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-68754696613386795692013-08-27T01:22:14.242-07:002013-08-27T01:22:14.242-07:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।Pratibha Vermahttps://www.blogger.com/profile/09088661008620689973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-43642137145770131222013-08-27T00:13:35.386-07:002013-08-27T00:13:35.386-07:00धीरेन्द्र जी, अनुराग जी, प्रतिभा जी, व वीरू भाई आप...धीरेन्द्र जी, अनुराग जी, प्रतिभा जी, व वीरू भाई आप सभी का स्वागत व आभार !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-88841700032635786132013-08-27T00:12:16.819-07:002013-08-27T00:12:16.819-07:00आभार राजेश जी !आभार राजेश जी !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-25436139046354982572013-08-26T22:37:57.506-07:002013-08-26T22:37:57.506-07:00जनवरी २००५
हमें चिंता से चिन्तन की ओर जाना है, चि...जनवरी २००५ <br />हमें चिंता से चिन्तन की ओर जाना है, चिंता नश्वर की होती है, चिन्तन शाश्वत का होता है. अपने भीतर छिपे उस तत्व को प्रकट करना है. देह जड़ है, मन, बुद्धि भी जड़ है जड़ का चिन्तन हमें जड़ बना देता है, संवेदनशीलता खो जाती है, बुराई के प्रति हम आँख मूंद लेते हैं. चेतन का चिन्तन सदा प्रकाश से भर देता है, आगे बढ़ने की एक ललक, एक प्यास, एक तड़प, एक अग्नि भीतर जलती रहती है. उसी के प्रकाश से फिर जड़ भी दिव्यता को प्राप्त हो जाता है. मन भावों को जन्म देता है, भीतर एक गीलापन उगता है, जो हमें अपने मूल स्वभाव की ओर ले जाता है. <br /><br />मैं आत्मा हूँ -एक चैतन्य ऊर्जा ,एनर्जी इन एक्शन ज्योति बिंदु स्वरूप हूँ। मैं शरीर नहीं हूँ। शरीर मेरा है। मैं परमात्मा का दिव्य स्वरूप हूँ।उसी का वंश हूँ। ॐ शान्ति। बेहतरीन पन्ने डायरी के अनिताजी की। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-76470479286724901402013-08-26T17:15:31.553-07:002013-08-26T17:15:31.553-07:00सही जीवन दृष्टि !सही जीवन दृष्टि !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-13512320762902961802013-08-26T17:00:17.889-07:002013-08-26T17:00:17.889-07:00सत्य वचन!सत्य वचन!Smart Indian - अनुराग शर्माhttps://www.blogger.com/profile/00609348818544161042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-37308677948945640632013-08-26T09:25:11.643-07:002013-08-26T09:25:11.643-07:00आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल मंगलवार २७ /८ /१...आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल मंगलवार २७ /८ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है। Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-12751549412742237862013-08-26T06:32:54.471-07:002013-08-26T06:32:54.471-07:00चेतन का चिन्तन सदा प्रकाश से भर देता है,
RECENT P...चेतन का चिन्तन सदा प्रकाश से भर देता है,<br /><br /><b>RECENT POST </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/08/blog-post_25.html#links" rel="nofollow">: पाँच( दोहे )</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.com