tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post222501024327587784..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: छुप गया कोई रे Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-14868605490890005862013-10-10T01:47:43.065-07:002013-10-10T01:47:43.065-07:00स्वागत व आभार रमाकांत जी स्वागत व आभार रमाकांत जी Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-29085899815322577442013-10-10T01:47:15.905-07:002013-10-10T01:47:15.905-07:00बहुत सुंदर पंक्तियाँ शकुंतला जी बहुत सुंदर पंक्तियाँ शकुंतला जी Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-77314524450345522742013-10-10T01:40:39.768-07:002013-10-10T01:40:39.768-07:00सही कहा है वीरू भाई !सही कहा है वीरू भाई !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-75631826147638108092013-10-09T20:45:55.893-07:002013-10-09T20:45:55.893-07:00 जगा हुआ ही अपनी पूर्ण जिम्मेदारी ले सकता है, अपने... जगा हुआ ही अपनी पूर्ण जिम्मेदारी ले सकता है, अपने कर्मों, वाणी तथा विचारों के प्रति सावधान होता है.<br />ज्ञान परक आलेख आभार Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-22170227058887036572013-10-09T19:13:17.557-07:002013-10-09T19:13:17.557-07:00" तुम मृदु-मानस के भाव और मैं मनोरंजनी भाषा ।..." तुम मृदु-मानस के भाव और मैं मनोरंजनी भाषा । तुम नन्दन-वन-घन-विहग और मैं सुख-शीतल-तरु-शाखा। तुम प्राण और मैं काया, तुम शुध्द सच्चिदानंद ब्रह्म मैं मनोमोहिनी माया ।" निराला शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-50868389695324811772013-10-09T18:16:05.646-07:002013-10-09T18:16:05.646-07:00बहुत सशक्त भावाभिव्यक्ति। जो कण कण में व्याप्त है ...बहुत सशक्त भावाभिव्यक्ति। जो कण कण में व्याप्त है वह निराकार ब्रह्म है ,जो हमारे वक्षस्थल में है वह परमात्मा है और जो विभिन्न रूपों में अनेक बार अवतरित होता है कभी राम कभी कृष्ण वह भगवान् सच्चिदानंद है वह सत (सत्य )भी है चित (ज्ञान )भी है आनंद भी। ब्रह्म से सत्य की परमात्मा से सत्य और ज्ञान दोनों की और लीला पुरुष से सत -चित -आनंद की एक साथ प्राप्ति होगी। वही WHOLE है ,COMPLETE GODHEAD है। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-10285378394715578942013-10-09T05:27:35.070-07:002013-10-09T05:27:35.070-07:00स्वागत व आभार !स्वागत व आभार !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-35092280478635394392013-10-09T04:48:17.547-07:002013-10-09T04:48:17.547-07:00ज्ञान पूरक आलेख !
नवरात्रि की शुभकामनाएँ .
RECENT...ज्ञान पूरक आलेख !<br />नवरात्रि की शुभकामनाएँ .<br /><br /><b>RECENT POST </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/10/blog-post_8.html#links" rel="nofollow">: अपनी राम कहानी में.</a><br /><br />धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.com