tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post5927866486616898083..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: बंधन और मुकAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-91799212610312918362011-06-01T08:08:18.481-07:002011-06-01T08:08:18.481-07:00आपने सही कहा है विकारों से मुक्ति के लिये ज्ञान, क...आपने सही कहा है विकारों से मुक्ति के लिये ज्ञान, कर्म व भक्ति तीनों की आवश्यकता है, आभार !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-41514417952895727512011-06-01T02:47:58.372-07:002011-06-01T02:47:58.372-07:00हमारे सकाम कर्मों से वासनाएं अर्जित होती जाती हैं....हमारे सकाम कर्मों से वासनाएं अर्जित होती जाती हैं.ये वासनाएं ही आवरण रूप से 'कारण शरीर' का निर्माण कर देती हैं.जो प्रारब्ध के रूप में हमें वासना अनुरूप भोगने के लिए मजबूर करता है.जैसे जैसे आत्म ज्ञान अर्जित होता जाता है 'कारण शरीर' क्षय को प्राप्त होता जाता है.आत्म ज्ञान के द्वारा ही हम निष्काम कर्म करने की और भी अग्रसर हो जाते हैं,जिससे नवीन वासनाएं अर्जित नहीं होती.<br />वास्तव में विकारों से मुक्ति के लिए ज्ञान,कर्म व भक्ति योग की समग्र रूप से आवश्यकता है <br /><br />सुन्दर ज्ञानपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.com