tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post6546565551206269929..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: कुछ देना न लेना मगन रहना Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-46980488438195368432014-09-15T14:16:44.053-07:002014-09-15T14:16:44.053-07:00यही वह ज्ञान है (ब्रह्म ज्ञान है ,परमात्म ज्ञान )...यही वह ज्ञान है (ब्रह्म ज्ञान है ,परमात्म ज्ञान )है जिसे जान लेने के बाद फिर कुछ जानना शेष नहीं रहता है। वह भी पूर्ण हैं और यह भी पूर्ण है। पूर्ण में से पूर्ण निकल जाता है फिर भी पूर्ण बच रहता है। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com