अनंत
युगों से सृष्टि का यह यज्ञ अनवरत चल रहा है। समय-समय पर न जाने कितने अवतार, संत,
महापुरुष, ऋषि व जन सामान्य ने भी इस यज्ञ में अपनी आहुति प्रदान की है, वर्तमान में
भी कर रहे हैं। कोई लेखक जब कष्ट उठाकर भी समाज के उत्थान के लिए साहित्य का सृजन करता
है, अथवा कोई संगीतकार या गायक जब घंटों अभ्यास करता है, वे अपनी प्रतिभा की हवि का
अर्पण ही कर रहे हैं। जन कल्याण का कोई भी अभियान हो उसमें अनेक जन अपने जीवन को ही
समिधा बनाकर अर्पित कर देते हैं। वर्तमान में भी एक यज्ञ चल रहा है, कोरोना से बचाव
का, इसके प्रभाव से स्वयं को व अन्यों को भी मुक्त रखने का। हम सभी को सजगता पूर्वक
अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखकर इसमें अपनी समिधा डालनी है। सकारात्मक सोच, नियमित योग
साधना, ध्यान का अभ्यास, प्रकृति का सम्मान तथा सात्विक आहार के द्वारा हम सहज ही अपने
स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। ये सभी उपाय हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ा
देते हैं।
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
08/11/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
बहुत बहुत आभार !
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-11-2020) को "अहोई अष्टमी की शुभकामनाएँ!" (चर्चा अंक- 3879) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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बहुत बहुत आभार !
Deleteसहमत।
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Deleteसुन्दर व सार्थक आलेख।
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
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