tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post1570836918740903332..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: अमन हुआ जब प्रेम जगाAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-85790807052274999652012-05-31T00:02:18.423-07:002012-05-31T00:02:18.423-07:00बहुत ही सुन्दर व्याख्या ।बहुत ही सुन्दर व्याख्या ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-43420535858710191472012-05-30T08:50:02.008-07:002012-05-30T08:50:02.008-07:00सद्गुरु ही हमें मुक्ति का मार्ग दिखाता है।सद्गुरु ही हमें मुक्ति का मार्ग दिखाता है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-2773289054098033992012-05-30T01:28:45.971-07:002012-05-30T01:28:45.971-07:00आत्मा स्नेहिल है, वह शांति देती है, मन तब धीरे-धीर...आत्मा स्नेहिल है, वह शांति देती है, मन तब धीरे-धीरे अपनी सत्ता खोने लगता है वह भी प्रेममय होकर आत्मा में ही विलीन हो जाता है. हम मुक्ति का अहसास करते हैं. संसार हमें दे ही क्या सकता है, तब हम दूसरी दृष्टि से देखते हैं कि हम उसे क्या दे सकते हैं. तब अंतर में सेवा का भाव जगता है. बिना किसी प्रयोजन के हम तब कार्य करते हैं, निष्काम जीवन तब शुरू होता है.<br /><br />मन बुद्धि और संस्कार यही तो आत्मा के तीन गुन है ..और इनमे भी सेवा का संस्कार सबसे प्रबल छाप छोड़ता है आत्मा पर .बढ़िया प्रस्तुति है -<br /><br /><br />ram ram bhai<br /><br />बुधवार, 30 मई 2012<br />HIV-AIDS का इलाज़ नहीं शादी कर लो कमसिन से<br /><br />http://veerubhai1947.blogspot.in/<br /><br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/<br /><br />कब खिलेंगे फूल कैसे जान लेते हैं पादप ?virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-67520140412574617932012-05-29T18:58:43.699-07:002012-05-29T18:58:43.699-07:00आत्मा स्नेहिल है, वह शांति देती है,
JIWAN KA SAAR...आत्मा स्नेहिल है, वह शांति देती है, <br />JIWAN KA SAAR, NICHOD YAHI HAI.Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-1660612897536371222012-05-29T08:39:52.278-07:002012-05-29T08:39:52.278-07:00हम उसे क्या दे सकते हैं. तब अंतर में सेवा का भाव ज...हम उसे क्या दे सकते हैं. तब अंतर में सेवा का भाव जगता है. बिना किसी प्रयोजन के हम तब कार्य करते हैं, निष्काम जीवन तब शुरू होता है.<br /><br />RECENT POST<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/05/blog-post_27.html" rel="nofollow"> ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.com