tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post3156687379108453734..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: जिन डूबा तिन पाइयांAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-82328820523854376632014-10-14T01:12:14.405-07:002014-10-14T01:12:14.405-07:00शकुंतला जी व वीरू भाई, बिल्कुल सही कहा है आपने...स...शकुंतला जी व वीरू भाई, बिल्कुल सही कहा है आपने...स्वागत व आभार !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-90250131292316597212014-10-13T07:21:40.865-07:002014-10-13T07:21:40.865-07:00बहुत सुन्दर विचार। दरअसल आनंद भगवान का एक नाम है। ...बहुत सुन्दर विचार। दरअसल आनंद भगवान का एक नाम है। और आत्मा परमात्मा का अंश है इसीलिए आत्मा का स्वभाव ही आनंद की खोज है लेकिन जीवात्मा इस शरीर में आजाने पर बॉडी -माइंड -इंटेलेक्ट त्रिपुटी को ही सेल्फ मान लेता है। फाइनाइट मान लेता है ऐसे में सीमित से सीमित ही प्राप्त होता है जब की आत्मा असीम लिमिटलैस आनंद चाहता है जो उसका स्वभाव है। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-75219483036269426302014-10-13T04:10:11.000-07:002014-10-13T04:10:11.000-07:00 वह परमात्मा आनन्द - घन है । तृप्ति वहीं सबको मिलत... वह परमात्मा आनन्द - घन है । तृप्ति वहीं सबको मिलती है ।<br />सुन्दर रचना । शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.com