tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post3761111998960086394..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: सांच बराबर तप नहीं Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-57201682898539394112017-08-03T22:13:47.091-07:002017-08-03T22:13:47.091-07:00स्वागत व आभार कविता जी ! कबीर का यह दोहा कितनी सरल...स्वागत व आभार कविता जी ! कबीर का यह दोहा कितनी सरलता से सत्य की महिमा का बखान करता है.Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-56403204702554127472017-08-03T04:01:24.657-07:002017-08-03T04:01:24.657-07:00बहुत सही ... बचपन में स्कूल रटा कबीर दास जी का दो...बहुत सही ... बचपन में स्कूल रटा कबीर दास जी का दोहा याद आया - <br />सॉंच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप। <br />जाके हिरदै सॉंच है, ताके हिरदै आप।।कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com