tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post4151634582159841060..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: कौन यहाँ किसकी खातिर है Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-6261570836706441552017-03-22T20:18:45.652-07:002017-03-22T20:18:45.652-07:00आपने सही कहा है, जैसा अन्न वैसा मन, स्वागत व आभार ...आपने सही कहा है, जैसा अन्न वैसा मन, स्वागत व आभार राहुल जी !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-7685838968357899662017-03-22T20:18:00.310-07:002017-03-22T20:18:00.310-07:00सही है, देह व आत्मा दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, पर...सही है, देह व आत्मा दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, पर सवाल यह है कि हम कौन हैं, देह या आत्मा, अथवा दोनों का मेल, यदि कोई स्वयं को देह मानता है, तो देह मृण्मय है, उसे सदा मृत्यु का भय लगा रहेगा. यदि आत्मा जानता है तो उसने एक आधार पा लिया है, यदि दोनों का मेल जानता है तो एक न एक दिन यह संयोग टूटने ही वाला है, स्वयं को आत्मा जानना और फिर देह को अपने विकास के लिए उसका साधन मानना यही साधना का लक्ष्य है.Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-20638460803508712862017-03-22T20:12:38.479-07:002017-03-22T20:12:38.479-07:00बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-47754232062760750192017-03-21T23:39:56.591-07:002017-03-21T23:39:56.591-07:00This comment has been removed by the author.Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-74603505311043167512017-03-20T18:18:49.005-07:002017-03-20T18:18:49.005-07:00शरीर जीवित है तो आत्मा का भी एहसास होता है ... शरी...शरीर जीवित है तो आत्मा का भी एहसास होता है ... शरीर रहित जीवन की कल्पना शायद नहीं कर पता इंसान ... शायद दोनों का विकास पूरक है दोनों के लिए ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-62794308194064658692017-03-20T11:33:18.095-07:002017-03-20T11:33:18.095-07:00आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति ...आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2017/03/vishva-gauraiya-diwas.html" rel="nofollow">विश्व गौरैया दिवस और ब्लॉग बुलेटिन</a> में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।HARSHVARDHAN https://www.blogger.com/profile/15717143838847827989noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-60775091290390835792017-03-20T04:32:29.700-07:002017-03-20T04:32:29.700-07:00मेरा मानना है कि हमें अपने शरीर के माध्यम से आत्म...मेरा मानना है कि हमें अपने शरीर के माध्यम से आत्मा को सिर्फ शिद्दत से महसूस करना है. आत्मा का सहज गुण तो देवत्व में हैं. सेवाभाव व उच्च चरित्र का सतत विकास आत्मा की मंजिल है. हम जितना चाहे, इसे आगे ले जा सकते हैं. शरीर को जैसा ईंधन मिलेगा, आत्मा उसी हिसाब से अपने गंतव्य की ओर अग्रसर होगी. Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.com