tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post5134527834855389612..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: एक लहर उमड़े मस्ती की Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-48586399769210996742014-08-25T21:25:19.963-07:002014-08-25T21:25:19.963-07:00राहुल जी व वीरू भाई, स्वागत व आभार ! राहुल जी व वीरू भाई, स्वागत व आभार ! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-32491239994719549612014-08-25T16:11:16.530-07:002014-08-25T16:11:16.530-07:00मृत्यु और जीवन दो दरवाज़े हैं जीवात्मा एक दरवाज़े से...मृत्यु और जीवन दो दरवाज़े हैं जीवात्मा एक दरवाज़े से निकल कर दूसरे में प्रवेश करता है। अंतकाल में व्यक्ति जो सोचता है उसी को प्राप्त होता है जो कृष्णभावना अमृत में रहता है वह वैकुण्ठ को जाता है उसके लिए यह अंतिम मृत्यु यानी परान्तकाल साबित होती है। सुन्दर पोस्ट। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-73993520810200127022014-08-25T07:41:03.693-07:002014-08-25T07:41:03.693-07:00हम वर्षों साथ रहकर भी कितने अजनबी बन जाते हैं एक क...हम वर्षों साथ रहकर भी कितने अजनबी बन जाते हैं एक क्षण में और जिनसे पहली बार मिले हों एक पल में अपनापन महसूस करने लगते हैं. कितनी अनोखी है यह दुनिया, कितनी विचित्र !Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.com