tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post549914847985873951..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: जामे दो न समायAnitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-486154275535354942018-07-31T20:53:50.487-07:002018-07-31T20:53:50.487-07:00स्वागत व आभार अशोक जी ! स्वागत व आभार अशोक जी ! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-16986282521364366542018-07-31T20:19:29.309-07:002018-07-31T20:19:29.309-07:00आत्मा, ईश्वर, भगवान, देवी-देवता, अशुर, ग्रह-नक्षत्...आत्मा, ईश्वर, भगवान, देवी-देवता, अशुर, ग्रह-नक्षत्र के बाद मिलता है मनुष्य योनि में होता है जन्म जीवका जी 🙏 दो तो नहीं है पर क्योंकि अनुभव के स्तर अलग अलग होने से अंनत जीवों की अनुभूति होती है जी🙏हरि: शरणम्https://www.blogger.com/profile/04332104987970473419noreply@blogger.com