tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post6791243929227932253..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: स्वयं में ही विश्रांति मिले जब Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-47830397941603626892018-12-10T23:39:48.187-08:002018-12-10T23:39:48.187-08:00विश्राम भीतर जाकर ही मिलता है..पहले इसकी अभीप्सा फ...विश्राम भीतर जाकर ही मिलता है..पहले इसकी अभीप्सा फिर पुरुषार्थ तो एक बार करना ही होगा, आभार ! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-22776036899734937492018-12-10T05:20:14.017-08:002018-12-10T05:20:14.017-08:00विश्राम की स्थिति भी स्वयं मन में आये तभी सार्थक ह...विश्राम की स्थिति भी स्वयं मन में आये तभी सार्थक है ...<br />नहीं तो ये चक्र चलता रहता है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com