tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post987061508889902484..comments2024-03-22T21:45:18.255-07:00Comments on डायरी के पन्नों से: शरण गये सो तृप्त भये Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-52351241226063557542014-11-12T04:37:21.617-08:002014-11-12T04:37:21.617-08:00सरल शब्दों में तत्व ज्ञान..आभार ! सरल शब्दों में तत्व ज्ञान..आभार ! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-150318377141778902014-11-12T04:35:35.625-08:002014-11-12T04:35:35.625-08:00सही कहा है आपने...सही कहा है आपने...Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-79419881040683237232014-11-12T04:35:19.949-08:002014-11-12T04:35:19.949-08:00स्वागत व आभार !स्वागत व आभार !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-29928386989070297232014-11-12T04:34:36.398-08:002014-11-12T04:34:36.398-08:00शकुंतला जी, दिल तो बच्चा है...उसे प्यार से समझाना ...शकुंतला जी, दिल तो बच्चा है...उसे प्यार से समझाना होगा..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-23380264673708641502014-11-11T03:55:44.516-08:002014-11-11T03:55:44.516-08:00अनिता जी ! हमारी स्थिति उस दुर्योधन जैसी है, जो बे... अनिता जी ! हमारी स्थिति उस दुर्योधन जैसी है, जो बेचारा कहता है -<br /> " जानामि धर्मं न च मे प्रवृत्तिः जानामि अधर्मं न च मे निवृत्तिः ।" शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-87906494290689122722014-11-10T13:11:08.738-08:002014-11-10T13:11:08.738-08:00धारियते इति धर्म -जो समाज को बांधे रहता है वह धर्म...धारियते इति धर्म -जो समाज को बांधे रहता है वह धर्म है उसके रक्षण में ही हमारा अनुरक्षण हैं हम धर्म की रक्षार्थ काम करें ,धर्म हमारी रक्षा करेगा। <br /><br />मन ही मेरा सबसे बड़ा तीर्थ है कर्म प्रेरक है। कर्मयोग सिखाता है मन। <br /><br />गैस का गुब्बारा ऊपर उठता जाता है। ऊपर दाब (प्रेशर )कम होने से फूलने लगता है फिर फट जाता है। अंदर की वायु बाहर की वायु और आकाश में मिलके आज़ाद हो जाती है। कर्मयोग सिखाता है गुब्बारा। मन मेरा गुब्बारा हो जाए गैस का।virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-29858533027517917572014-11-10T01:28:10.749-08:002014-11-10T01:28:10.749-08:00हमें अपनी शक्ति को पहचानना होगा...बहुत सार्थक प्रस...हमें अपनी शक्ति को पहचानना होगा...बहुत सार्थक प्रस्तुति...<br /><br />http://aadhyatmikyatra.blogspot.in/Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731113679380035272.post-28771668231014962802014-11-10T00:56:15.790-08:002014-11-10T00:56:15.790-08:00प्रभु की शरण को प्रेरित करते भाव ... अति सुन्दर .....प्रभु की शरण को प्रेरित करते भाव ... अति सुन्दर ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com