Thursday, September 25, 2025

पल-पल जब यह याद रहेगा

पल-पल जब यह याद रहेगा 

जीवन वैसा ही बन जाता है, जैसा हम उसे बनाते हैं। जीवन में हास्य, मधुरता, प्रेम और रस हो ऐसा कौन नहीं चाहता ? किंतु इन्हें दिन-प्रतिदिन जीवन में पिरोना पड़ता है। सुमधुर संगीत सुनें तो मन स्वयं ही ठहर जाता है। अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करें तो मन रस का अनुभव करता ही है। अस्तित्त्व के साथ एकता का अनुभव प्रेम की एक सहज अवस्था में ले जाता है। जीवन में एक लय, अनुशासन और प्रवृत्ति व निवृत्ति में एक सामंजस्य बना रहे तो हास्य की कमी नहीं रहती। हर पल जीवन हमें न जाने कितने अनमोल उपहार दे रहा है।उसके प्रति कृतज्ञता की भावना हमें भीतर से तृप्त करती है। देवी माँ की आराधना के यह नौ दिन हमें इसी बात का स्मरण कराने आते हैं।