Sunday, February 3, 2013

सभी समाया है शून्य में


हमारे दुःख का कारण अज्ञान है. इस जगत की कोई वस्तु, व्यक्ति या परिस्थिति हमें सुखी-दुखी नहीं कर सकती यदि हम ज्ञान में स्थित हैं. तब हम मन की गुलामी से मुक्त हो जाते हैं, मन ही हमें भटकाता है, क्षुब्ध करता है. अपनी इच्छा पूरी न होने पर दुःख व्यक्त करता है, अन्यों को भी दुखी करता है. ऐसा वह सोचता है, जबकि अन्य भी सुखी या दुखी अज्ञान के कारण ही होते हैं, लेकिन जानते नहीं हैं. अभी बुद्धि मन की गुलाम है ज्ञान होने पर मन बुद्धि के शासन में रहेगा. आत्मा की निकटतम पड़ोसी बुद्धि है, धीरे-धीरे जब बुद्धि प्रखर होगी तो आत्मा की झलक उसमें मिलेगी. और उस क्षण सारे संशय नष्ट हो जाते हैं, हमारी निज की कल्पनाएँ भी चूर-चूर हो जाती हैं, तब पहली बार सही अर्थों में मुक्ति का अहसास होता है. मुक्ति अर्थात मन में शासन से मुक्त होना, वास्तव में मन कुछ है ही नहीं, परत दर परत हटाते जाएँ तो नीचे कुछ भी दिखाई नहीं देता. जो शून्य है वही अस्तित्त्व है, वही परम शांति है, वही प्रेम है ऐसा प्रेम जो बांधता नहीं है. तब जगत की निस्सारता का अनुभव होता है. वह जगत जो हम अपने मन में ही रचते हैं. हमारे मन में स्वयं का रचा हुआ संसार है जो बाहर के जगत का हमारा स्वयं का संस्करण है. अपने जीवन की पुस्तक हम स्वयं लिखते हैं और उसे सुखद या दुखद बनाने का दायित्व नितांत हमारा ही है.

9 comments:

  1. SUNY HI SAMASTI HAI AUR SAMASTI HI SUNY HAI,SUDAR VICHAR

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  2. अपने जीवन की पुस्तक हम स्वयं लिखते हैं और उसे सुखद या दुखद बनाने का दायित्व नितांत हमारा ही है.
    बहुत सही कहा आपने ...

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  3. जो शून्य है वही अस्तित्त्व है, वही परम शांति है, वही प्रेम है ऐसा प्रेम जो बांधता नहीं है. तब जगत की निस्सारता का अनुभव होता है. वह जगत जो हम अपने मन में ही रचते हैं. हमारे मन में स्वयं का रचा हुआ संसार है जो बाहर के जगत का हमारा स्वयं का संस्करण है. अपने जीवन की पुस्तक हम स्वयं लिखते हैं और उसे सुखद या दुखद बनाने का दायित्व नितांत हमारा ही है.

    .हमारे वक्त की एक प्रासंगिक रचना हमें हमारे स्व का बोध कराती है .

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  4. ज्ञान का प्रकाश ही अंधकार को मिटा सकता है ।

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  5. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/2/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

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  6. अज्ञानता अन्धकार है ज्ञान के प्रकाश से ही हम अन्धकार को मिटा सकते है,,,,

    RECENT POST बदनसीबी,

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  7. sach main, jindagi ko sukhi ya dukhi banane ka dayitv nitant hamara hi hai

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  8. अक्षरश: सही कहा आपने...

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  9. मधुजी, सदा जी, वीरू भाई, राजेश जी, धीरेन्द्र जी, इमरान व रश्मि जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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