३ जून २०१७
यह जगत हमें अपनी
आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप ही मिलता है. मन की गहराई में जैसा हम चाहते हैं, यह
सृष्टि वैसा ही रूप धर कर हमारे सामने प्रस्तुत होती रहती है. हर आत्मा के पास यह
क्षमता है किन्तु मानव योनि में आकर ही वह इसका लाभ उठा सकती है. भाग्य का अर्थ बस
इतना सा ही है कि अतीत में हमने कुछ चाहा था, वर्तमान में वह हमें मिल रहा है.
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