Monday, March 26, 2018

साधो सहज समाधि भली


२६ मार्च २०१८ 
हम अपने आंतरिक जीवन से जिस विश्वास से मिलते हैं, बाह्य जीवन भी उसी विश्वास से हमारा स्वागत करता है. वास्तव में हमारा स्वयं के साथ जितना और जैसा संबंध है, वैसा ही बाहर के जगत में हमारे साथ घटित होता है. यदि कोई भय से ग्रस्त है तो उसे अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दोचार होना पड़ सकता है जिसमें उसे भय का सामना करना पड़े. सभी के मूल में एक ही सत्ता है, पर हर व्यक्ति अपनी मान्यताओं, धारणाओं और भावनाओं के अनुसार ही उसे अभिव्यक्त करता है. ध्यान में जब शंकालु, चंचल मन शांत हो जाता है, तब कुछ क्षणों के लिए सहज प्राप्त निजता का अनुभव होता है. यह सहजता स्वयं का स्वभाव बन जाये इसी लिए जीवन में साधना की आवश्यकता है.

4 comments:

  1. तभी तो कहते हैं जैसी द्रष्टि वैसी स्रष्टि ,निर्मल द्रष्टि के लिए साधना तो बहुत आवश्यकता है.

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    1. स्वागत व आभार दीदी !

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  2. सहजता जीवन में सहज व्यवहार करने वालों से मिलाती है ...
    अच्छा लिखा है आपने ...

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    1. वाह ! कितना सुंदर विवेचन..स्वागत व आभार दिगम्बर जी !

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