११ अक्तूबर २०१८
शारदीय नवरात्रि का उत्सव अपने आप में एक अनोखा संदेश लिए हर वर्ष
हमें जगाने आता है. दिन की गहमागहमी में जो मन थक जाता है, वह रात्रि की गोद में
विश्राम पाता है. इस प्रकार हर रात्रि हमें पुनर्शक्ति से भर देती है. इन नौ
रात्रियों में ब्रह्मांड की ऊर्जा अधिक सक्रिय होती है, इसीलिए साधना के लिए इन्हें
उत्तम माना गया है. शिव की शक्ति अनंत है, उसमें से जिसकी जितनी सामर्थ्य हो वह
उतनी पा सकता है. इस शक्ति का उपयोग अपने ज्ञान के अनुसार शुभ अथवा अशुभ कर्मों
में कर सकता है. हमारे भीतर क्रिया, ज्ञान और इच्छा शक्ति विधान के द्वारा प्रदान
की गयी है, जो लक्ष्मी, सरस्वती व दुर्गा के प्रतीक द्वारा पूजी जाती है. शक्ति को
जगाने का अर्थ है, इसका समुचित उपयोग करना. देवी के विभिन्न रूपों की आराधना करके
हम विवेक से उत्पन्न शुभ कामनाओं के द्वारा अपने कर्मों को शुद्ध कर सकते हैं,
जिनसे वे बंधनकारी नहीं होंगे और अंततः हम पूर्ण स्वाधीनता का अनुभव कर सकेंगे.
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २२०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
ReplyDeleteगिरिधर मुरलीधर - 2200 वीं ब्लॉग-बुलेटिन " , में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत बहुत आभार सलिल जी !
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