Sunday, November 7, 2021

शून्य में ही पूर्ण छिपा है

परमात्मा का एक गुण है वह दिखायी नहीं देता; इसलिए ऐसा लगता है वह  है ही नहीं, किंतु वास्तव में  हर कहीं वही है। उसके बिना कुछ भी नहीं उपजता  है, इस सृष्टि में  हर कतरा उसकी शक्ति से भरा हुआ है,  उससे कभी कुछ छिपा नहीं है। हम देखते हैं कि अक्सर हमारा  चाहा हुआ नहीं घटता है, इससे हम अशांत हो जाते हैं। जब हम परमात्मा की सत्ता को स्वीकार कर लेते हैं तब अंतर में शांति बनी रहती है। अनादि काल से यह दुनिया निज राह पर चल रही है, कुछ ही ऐसे होते हैं जो उसे जानने  का दम भरते हैं जो है ही नहीं, पर जो इस जगत का आधार है। एक वैरागी या योगी के पास बाहर कुछ भी न हो  फिर भी उसके मस्तक पर एक कांति दमकती है और उसका आत्मबल नज़र आता है।जगत में रहते हुए भी यदि चीजों, घटनाओं और व्यक्तियों पर अपनी पकड़ हम छोड़ दें, कहीं कोई अपेक्षा न रखें तो मन उस शून्यता को अनुभव कर सकता है जो वास्तव में पूर्ण है। 


3 comments:

  1. बहुत बहुत आभार !

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  2. वाह वाह अनीता जी ! गहन जीवन सूत्र थमाती अद्भुत प्रस्तुति आपकी ! मन की कई गुत्थियां खुलती सी लगती हैं ! बहुत बहुत आभार आपका !

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    1. स्वागत व आभार साधना जी!

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