Monday, October 3, 2022

विजयदशमी की शुभकामनाएँ

दशहरा अर्थात दशानन का मरण, या दस सिर वाले असुर का विनाश। देवता और असुर दोनों ही कहाँ रहते हैं ? हमारे ही  मन में उनका निवास है, क्योंकि जो ब्रह्मांड में है, वही पिंड में है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, माया, मद, मत्सर, दर्प, ईर्ष्या तथा अहंकार रूपी रावण के दस सिरों को भगवती दुर्गा की प्रार्थना के बाद ग्रहण की गयी शक्ति के कारण राम रूपी आत्मा नष्ट करती है। मन जब हनुमान की तरह समर्पित होता है और ध्यान  लक्ष्मण की तरह सेवा में तत्पर होता है, तब सीता रूपी बुद्धि को उपरोक्त दस विकारों की क़ैद से मुक्ति प्राप्त होती है। भारत भूमि पर मनाए जाने वाले हर उत्सव का एकमात्र उद्देश्य आत्मा को शक्तिशाली बनाना है ताकि वह प्रकृति के पार जा सके और अपनी दिव्यता को अनुभव करे। 


4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (05-10-2022) को  "अभी भी जिन्दा है रावण"  (चर्चा-अंक-4572)  पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

    ReplyDelete