Tuesday, October 30, 2012

मिले समाधि से समाधान


हम सभी एक विशाल समष्टि के अंग हैं, इस नाते सभी एक-दूसरे से बंधे हैं पर हमारी अलग-अलग पहचान है, जब यह पहचान भी नहीं रहती तब मन सारी सीमाओं को तोड़कर असीम में मिल जाता है. हममें से हरेक की चेतना अनंत है पर हम छोटे-छोटे दायरों में बंधे होने के कारण उस विशालता का अनुभव नहीं कर पाते हैं. समाधि की अवस्था में सम्भवतः ऐसा ही अनुभव होता है, सारा का सारा ब्रह्मांड एक तत्व से बना है यह स्पष्ट होता है, फिर कोई भेद नहीं, अद्वैत का अनुभव होने के बाद अंतर में राग-द्वेष नहीं रह सकते.

7 comments:

  1. हम छोटे-छोटे दायरों में बंधे होने के कारण उस विशालता का अनुभव नहीं कर पाते...

    RECENT POST LINK...: खता,,,

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  2. और वह अनुभव ही सत्य है

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    1. आपने सही कहा है, रश्मि जी !

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  3. एक तत्व की ही प्रधानता ,कहो इसे जड़ या चेतन ,

    हिमगिरी के उत्तुंग शिखर पर बैठ शिला की शीतल छाँव ,

    एक पुरुष भीगे नयनों से ,देख रहा था ,प्रलय प्रवाह ,

    ऊपर हिम था नीचे जल था ,एक तरल था ,एक सघन ,

    एक तत्व की ही प्रधानता ,कहो इसे जड़ या चेतना .

    हम सभी इस अखिल सृष्टि के ही अलग अलग हिस्से हैं .सारी कायनात परस्पर अवगुंठित है .

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  4. अरुण जी, धीरेन्द्र जी आपका स्वागत व आभार !

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