Sunday, January 20, 2013

बलिहारी गुरु आपने

फरवरी २००४ 
अंतररूपी गहन तिमिर को हटाने सदगुरु रूप सूर्य जीवन में आता है. इस सूर्य को अंतर के प्रेमाश्रुओं का अर्क चढ़ाना है. भावना का तिलक लगाना है, अपने विचार पुष्पों को उन्हें समर्पित करना है. उनका जीवन जो शुद्ध मणि के समान चमचम चमक रहा है हमें सहज ही उनकी और आकर्षित करता है, उन आँखों की मस्ती हम पर असर डालती है. वह हमें हमारा परिचय कराने आते हैं, मनों पर छाये कल्पनाओं के जाल को तोड़ने आते हैं, वह सत्यस्वरूप हैं, उनमें हम अपने अंतर की कमजोरियों को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं, भय, हिंसा और लोभ को जान पाते हैं. यह जानकारी ही भीतर एक परिवर्तन लाती है. सहज रूप से हमरे स्व का विस्तार होने लगता है और भीतर का आनंद प्रकट होने लगता है.

3 comments:

  1. वह सत्यस्वरूप हैं, उनमें हम अपने अंतर की कमजोरियों को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं, भय, हिंसा और लोभ को जान पाते हैं. यह जानकारी ही भीतर एक परिवर्तन लाती है. सहज रूप से हमरे स्व का विस्तार होने लगता है और भीतर का आनंद प्रकट होने लगता

    जन कल्याण कारी सनातन विचार .

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  2. वीरू भाई व धीरेन्द्र जी, सुस्वागतम व आभार !

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