Tuesday, December 2, 2014

हर बाधा को पार करे मन

जून २००७ 
साधना के पथ पर आगे बढने में कुछ बाधायें हैं – व्याधि, आधि, प्रमाद, आलस्य, उत्साह हीनता, विषयों में रूचि, अनुभव में न टिक पाना, कर्मों का असर ! सबसे पहले तो मानव जन्म मिले, साधना में रूचि मिले, गुरू मिलें, अनुभव भी हों, साधना करने की सुविधा मिले, इसका शुक्रिया अदा करना चाहिए. जीवन साधना के पथ पर चलने के लिए ही है ऐसा दृढ निश्चय हो जाये. गुरू पर अगाध श्रद्धा हो और जीवन की कद्र हो. सच्ची संतुष्टि हो, सत्य के प्रति भक्ति हो जो तभी मिलेगी जब भीतर कोई कामना न हो, स्पर्धा न जगे, देने का भाव हो, न दे सके तो भी असंतोष न हो. जीवन में प्रमाद न हो. शरण में गये बिना  इससे छुटकारा नहीं. जप भी इन दोषों से मुक्त करा सकता है. मन में जप चलता रहे तो मन प्रमादी नहीं होगा. 

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