Wednesday, October 28, 2020

मानव जन्म अमोल है

 

संतों से हम सभी सुनते आए हैं, मानव जन्म अनमोल है। मानव ही कर्म करके अपना भाग्य बदल सकता है। मानव से इतर सभी योनियाँ केवल भोग के लिए हैं। यदि हमारा जीवन मात्र सुख-सुविधा को बढ़ाते जाना है तो हम अपनी क्षमता का विकास नहीं कर सकते। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उससे काम लेना, व्यायाम करना आवश्यक है तो मन को स्वस्थ रखने के लिए ध्यान साधना। प्राणों को सबल बनाने में प्राणायाम की बहुत बड़ी भूमिका है और बुद्धि को तीव्र करने हेतु अध्ययन, मनन, श्रवण और चिंतन की। आनंद को बढ़ाने के लिए संगीत, कला अथवा प्रात: व सांय काल का भ्रमण, प्रकृति का सान्निध्य आवश्यक है। यदि हमारी दिनचर्या इन सबके अनुकूल ढली हो तो व्यर्थ की चिंता अथवा किसी समस्या के लिए स्थान ही नहीं रह जाता। भारत की संस्कृति इतनी दिव्यता से परिपूर्ण है कि शास्त्रों में लगायी छोटी सी डुबकी भी भीतर तक तृप्त कर देती है। भारत का ज्ञान और योग आज सारे विश्व का मार्ग दर्शन कर रहा है। मानव धर्म सिखाने वाला सनातन मार्ग हमें सहज ही पूर्णता की ओर ले जाता है।

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