Thursday, November 12, 2020

दीप जले दीवाली के

 धनतेरस से आरम्भ होकर  भाईदूज पर समाप्त होने वाला ज्योतिपर्व दीपावली आशा और उमंग का उत्सव है. इसका हर पक्ष जीवन को एक नया अर्थ प्रदान करता है. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की महत्ता को बताने वाला यह पर्व हमें प्रकाश के रूप में बिखर कर स्वयं का और अन्यों का पथ प्रज्ज्वलित करने का संदेश देता है. ज्ञान के देवता गणपति और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की आराधना कर हम जीवन को अर्थवान और कामनाओं की पूर्ति के लिए सक्षम बनाते हैं. घर-बाहर की स्वच्छता और रंगोली, दीपदान, बन्दनवार आदि से शुभता का प्रसरण धर्म की वृद्धि में सहायक है. जिस प्रकार बाहर के दीपक का प्रकाश वातावरण को पवित्र करता है, अंतर्ज्योति का प्रकाश हमारे अज्ञान को हरता है. आत्मज्योति के दर्शन करने की प्रेरणा मोक्ष की ओर ले जाती है. मिष्ठानों व पकवानों को न केवल अपने परिवार के लिए बनाना बल्कि उनका वितरण समाज में मधुरता को बढ़ाता है. धनतेरस के दिन व्यापारियों की चाँदी है तो छोटी दीवाली के दिन हलवाइयों की, दीपावली के दिन मूर्तिकारों और दिए बनाने वाले कुम्हारों के श्रम का प्रतिदान मिलता है तो उसके अगले दिन किसानों के लिए लाभकारी है जब घर-घर में अन्नकूट का भोज बनता है. भाईदूज पर बहन-भाई के स्नेह का प्रतीक टीका केसर उत्पादकों के लिए फायदेमंद है. नए वस्त्र, नए बर्तन और भी न जाने कितनी खरीदारी दीपावली को सभी के लिए शुभ और लाभ देती है. आप सभी को असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक इस उत्सव पर हार्दिक शुभकामनायें ! 


2 comments:

  1. बहुत सुन्दर।
    रूप-चतुर्दशी और धन्वन्तरि जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  2. स्वागत व आभार !

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