Sunday, November 11, 2012

नई राह पर नया उजाला


हमें अपने भीतर नया दृष्टिकोण जगाना होगा, अभी मात्र आधा किलोमीटर ही चले हैं, अभी बहुत चलना है, अभी तो प्रारम्भ ही हुआ है, कदम अभी तो चलना ही शुरू कर रहे हैं, गति पकड़ना तो अभी शेष है. मन को उस स्तर तक ले जाना होगा कि ऐसा लगे कोई छलांग लगी है. कितनी ही बार हम ऐसा चिंतन करके जीवन को दिशा प्रदान करना चाहते हैं, पर बार-बार ऐसा क्यों लगता है कि हम कहीं पहुंच नहीं पा रहे हैं, या तो हमारी दिशा भटक गयी है या हमारी गति शिथिल हो गयी है. तब हम यह भूल जाते हैं कि भक्ति, ज्ञान या कर्म स्वयं में फलस्वरूप हैं, वे साधन भी हैं और साध्य भी. वे हमें अपने भीतर उजाले का दर्शन कराते हैं. पूर्ण समपर्ण ही भक्ति है, स्वयं को मात्र देह न मानकर चिन्मय तत्व जानना ही ज्ञान है और सहज प्राप्त कार्य को करना ही कर्म है. फिर जाना कहाँ और पाना क्या ? जब कोई अपेक्षा नहीं तो दुःख-सुख का भी प्रश्न नहीं है. हम तब संसार में रहते हुए भी कमल की नाईं संसार से परे रह सकते हैं. सदा सर्वदा अपने सत्य स्वरूप में स्थित. 

6 comments:

  1. दीप पर्व की परिवारजनों एवं मित्रों संग हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं.

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  2. सार्थक ...
    दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें ....

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  3. हमने तो बस अभी पहला कदम ही उठाया है अभी तो आधा किलोमीटर भी बहुत दूर है ।

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  4. SUNDAY, NOVEMBER 11, 2012

    नई राह पर नया उजाला

    दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामना

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  5. धीरेन्द्र जी, रमाकांत जी, इमरान , अनुपमा जी, व अरुण जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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