Friday, December 21, 2012

जिस मरने से जग डरे


जिसने मृत्यु को जान लिया है, वही जीवन को भी जान सकता है. हमारा जीवन एक अनंत यात्रा है, मृत्यु जिसमें आने वाले पड़ाव हैं, यह पड़ाव कितना लम्बा होगा अथवा कितना छोटा होगा यह हम नहीं जानते. उस दौरान हम भौतिक इन्द्रियों से परे होते हैं, आत्मा को स्वयं को जानने के लिए शरीर का साथ चाहिए, यह तन दुर्लभ है तभी ऐसा कहा गया है. जब तक यह है तब तक यदि सत्य को जान लें तो अशरीरी अवस्था में भी सजगता बनी रहेगी. ध्यान की गहनता मृत्यु का ही अनुभव है. ईश्वर की लीला अचिन्त्य है, वह अपने भक्त को अपना सान्निध्य देता है, इस जन्म में, मृत्यु के बाद और अगले जन्म में भी. यह ज्ञान बंधन से मुक्त करने वाला है, यह ऐसा पथ है जहां कुछ नहीं हुआ जाता है, अहम का वहाँ कोई स्थान नहीं.  

4 comments:

  1. ईश्वर की लीला अपरम्पार,
    बहुत सुंदर प्रेरक विचार,,,,,

    recent post : समाधान समस्याओं का,

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  2. जिसने मृत्यु को जान लिया है, वही जीवन को भी जान सकता है. हमारा जीवन एक अनंत यात्रा है,

    एक सुविचार

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  3. परमजीत जी, धीरेन्द्र जी व रमाकांत जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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