Tuesday, January 21, 2014

खुदी को कर बुलंद इतना

जून २००५ 
जो जिस भी वस्तु का हकदार होता है, उस वह मिल ही जाती है, किन्तु जो आत्मनिर्भर है वह जीवन में सफलता अवश्य पाता है. दुनिया जिसे सफलता कहती है वैसी सफलता न भी पाए पर जो खुद की तलाश में लगा है वही सही अर्थों में सफलता की राह पर है. इन्सान का जीवन खुदा ने इसीलिए बनाया है कि वह खुद को ढूँढे, खुदी के पीछे ही खुदा है, जो खुद से मिल गया वह खुदा को भी पा ही लेता है. जगत में साधारणतया माँ-पिता बच्चों से जो प्रेम करते हैं वह मोह ही कहा जायेगा, वे उन्हें किसी तकलीफ में नहीं देखना चाहते, इसलिए बचपन से ही आत्मनिर्भर होने का पाठ नहीं पढ़ाते, लेकिन तकलीफ पाए बिना कोई नेमत भी नहीं मिलती है. 

4 comments:

  1. आपका एक एक शब्द गहनता लिए होता है ....बहुत अर्थपूर्ण ....आभार अनीता जी ...!!

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  2. . वाह क्या बात प्रभावी अंदाज़

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  3. सच है, तकलीफ पाए बिना कोई नेमत नहीं मिलती. आभार.

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  4. अनुपमा जी, संजय जी व जेन्नी जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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