Thursday, February 5, 2015

नित नूतन बहे रस धार

जनवरी २००८ 
परम ऊर्जा के साथ एक होने की कला सिखाने के लिए तीन मददगार हैं, परमात्मा, गुरू तथा शास्त्र ! परमात्मा की कृपा तो सब पर है उसने मानव देह प्रदान की है. अन्नमय, प्राणमय तथा मनोमय कोष तो पशु के भी जाग्रत हैं पर विज्ञान मय व आनन्दमय कोष केवल मानव को ही प्राप्त हैं. सद्गुरु के पास जब हम जाते हैं तो वह इन सारे कोशों को जाग्रत करना ही नहीं सिखाता इनके पार ले जाने की कला भी सिखाता है, जहाँ मुक्ति का द्वार खुल जाता है. विज्ञान को नमन कि उसने ज्ञान को कितना सुलभ बना दिया है, गुरू के द्वार यदि कोई नहीं  जा सकता तो टीवी आदि के माध्यम से गुरू ही घर आकर ज्ञान की मोती लुटाते हैं. ऐसा ज्ञान जो नित नवीन है, हमें सरस सहज बनाता है, एकरसता को तोड़ता है.    

3 comments:

  1. देह से ही सब कुछ सम्भव है ।
    सुन्दर प्रस्तुति

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  2. स्वागत व आभार शकुंतला जी !

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  3. स्वागत व आभार शकुंतला जी !

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