Sunday, November 3, 2013

कौन सदा है संग सभी के

मार्च २००५ 
श्रीमद्भागवत में कृष्ण कहते हैं, ‘जब भक्त मेरा भजन करते-करते थक जाता है, तब मैं उसका भजन करने लगता हूँ’. कृष्ण कितने अनोखे हैं, वे परम अराध्य हैं, समस्त कारणों के कारण हैं, परमब्रह्म परमेश्वर हैं. हमारा श्रद्धाभाव जितना दृढ होगा उतना ही हम प्रभु को करीब से जानने लगते हैं. उसकी कृपा से ही संशय दूर होते हैं, इच्छाएं उठने से पूर्व ही पूर्ण होने लगती हैं. राधा उनकी आह्लादिनी शक्ति है, वही कृष्ण की बंसी की मधुरता है, वही उनके भीतर का शुद्ध हास्य है, वही उनका प्रेम है. वह सदा ही हमारे मन के मन्दिर में विराजते थे पर हमें ही इसका पता नहीं चलता था, हमारे भीतर ईश्वर के प्रति सहज स्वाभाविक प्रेम सुप्तावस्था में रहता है, सद्गुरु की कृपा से वह प्रकट हो जाता है, उसका प्राकट्य एक अद्भुत घटना है जो अंधकार न जाने कब से भीतर बना होता है, वह पल में समाप्त हो जाता है. भीतर ज्योति भर जाती है, जैसे रोम-रोम दिव्यता से भर गया हो. परमात्मा सदा हमारे साथ है.

5 comments:

  1. आह्लादित करते दिव्य भाव ....!!

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  2. भावमय करते शब्‍द

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  3. "सर्व धर्म परित्यज्य मामेकं शरण्म् व्रज ।"

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  4. नटवर से बडा हीरो कोई नहीं--" ताहि अहीर की छोहरियॉ छछिया भरी छाछ पै नाच नचावैं ।"

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