1२ अप्रैल २०१८
जीवन जिन तत्वों से मिलकर बना है, वे हैं पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश. तीन तत्व स्थूल हैं और दो सूक्ष्म. पृथ्वी, वायु व जल से देह बनी है, अग्नि यानि ऊर्जा है मन अथवा विचार शक्ति, और आकाश में ये दोनों स्थित हैं. शास्त्रों में परमात्मा को आकाश स्वरूप कहा गया है, जो सबका आधार है . परमात्मा के निकट रहने का अर्थ हुआ हम आकाश की भांति हो जाएँ. आकाश किसी का विरोध नहीं करता, उसे कुछ स्पर्श नहीं करता, वह अनन्त है. मन यदि इतना विशाल हो जाये कि उसमें कोई दीवार न रहे, जल में कमल की भांति वह संसार की छोटी-छोटी बातों से प्रभावित न हो, सबका सहयोगी बने तो ही परमात्मा की निकटता का अनुभव उसे हो सकता है. मन की सहजावस्था का प्रभाव देह पर भी पड़ेगा. स्व में स्थित होने पर ही वह भी स्वस्थ रह सकेगी. मन में कोई विरोध न होने से सहज ही सन्तुष्टि का अनुभव होगा.
इस गीता ज्ञान का सुंदर विवेचन ...
ReplyDeleteसुंदर पोस्ट ...
स्वागत व आभार दिगम्बर जी !
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteस्वागत व आभार महेंद्र जी !
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteउत्कृष्ट अभिव्यक्ति। व्यक्ति के मन की दशा और दिशा दोनों को बदल दे कुछ ऎसे ही भावों को व्यक्त करता है यह ब्लॉग।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteगागर में सागर, जीवन की मूल अवधारणा का अत्यंत सटीक वर्णन है। धन्यवाद 🙏
ReplyDeleteसृष्टि यानी जीवन की रचना तो पंच तत्त्वों से हुई। हमारा विश्वास है। पर मूल प्रश्न है कि इन पांच तत्वों की संरचना कैसे हुई? वेदों ने माना कि इनका स्वामी महातत्व है। उस शक्ति के उद्भव का भी कोई श्रोत ज्ञात है?
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ReplyDeleteगागर में सागर, जीवन की मूल अवधारणा का अत्यंत सटीक वर्णन है। धन्यवाद 🙏
Nice Post :- Ladki Ka Number Whatsapp | Girl Mobile Number | Girls Mobile Number For Friendship
ReplyDeleteनारायण, श्री हरि"
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