Friday, April 20, 2018

भीतर जगे प्रार्थना ऐसी


२० अप्रैल २०१८ 
कृतज्ञता और धन्यवाद के ताने-बने से बुनी प्रार्थना अंतर को शीतलता प्रदान करती है. संत कहते हैं, मानव जन्म दुर्लभ है, उस पर भी देव भूमि भारत में जन्म लेना दुर्लभ है. शास्त्र व संतों के प्रति श्रद्धा भाव जगना और भी दुर्लभ है. जिसके जीवन में ये तीनों घट रहे हों वह धन्यवाद के भाव से न भरे तो क्या करेगा. जिस दुनिया में ऐसे मत भी हों जो अपने सिवाय किसी को कुछ न समझते हों, भारत पूरे विश्व में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का परचम लहरा रहा है. वेदों का अनुपम ज्ञान जिसकी थाती हो, प्रकृति के हर रूप को जहाँ पूज्य माना जाता हो, लोक कथाओं के माध्यम से उच्च से उच्च विचार भी जहाँ जन-जन में फैलाया जा सका हो, ऋषियों की उस प्रयोगधर्मा भूमि में जन्म लेने वाला हर मानव का हृदय कृतज्ञता के भाव से भर ही जाना चाहिए.

2 comments:

  1. कृतज्ञता नम्रता में निहित होती है...वाह क्‍या भाव उकेरा है आपने अनीता जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्वागत व आभार अलकनंदा जी !

      Delete