Friday, February 22, 2019

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी

२३ फरवरी २०१८ 
अंतर में प्रेम हो, बुद्धि में ज्ञान हो हाथों में शक्ति हो तो जीवन संवरने लगता है. आज भारत का हर नागरिक एक नये विश्वास के साथ अपने भविष्य को गढ़ रहा है. नर हो या नारी सभी के भीतर देशभक्ति का दैवीय गुण जाग रहा है. उसके ‘मैं’ का विस्तार हो रहा है. वह एक बड़े धरातल पर खड़ा होकर सोचने की ताकत अपने भीतर महसूस कर रहा है. उसकी बात सुनी जा रही है और उसके पास कहने के लिए कुछ है इसकी उसे खबर भी लग रही है. दुनिया जब दिखावे की ओर बढ़ रही है भारत में सेवा और सत्य की राह पर चलने का संदेश पहुंचाया जा रहा है. आतंकवाद यहाँ जड़ें नहीं फैला सकता, यहाँ की मिट्टी में अद्वैत की खुशबू आती है, सेना का हर नौजवान भी यहाँ पहले दुश्मन को चेतावनी देता है, उसके बाद ही गोली चलाता है. हमें अपने पूर्वजों से एक महान संस्कृति का उपहार मिला है और हर भारतीय उसकी रक्षा करने में सक्षम है.  

6 comments:

  1. बहुत प्रेरक उद्बोधन। जय हिंद..

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    1. स्वागत व आभार कैलाश जी !

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  2. बहुत बहुत आभार !

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