Thursday, February 14, 2019

जो लौट के फिर न आये


१५ फरवरी २०१९ 
पुलवामा में हुए आतंकी हमले से पूरा राष्ट्र व्यथित है. देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने वाले इन बहादुर सनिकों को हर कोई सारे भेदभाव भुलाकर हृदय से श्रद्धांजलि दे रहा है. क्रूरता की इस घटना ने सबके हृदयों को झकझोर कर रख दिया है. ऐसे में यह विचार कि उन परिवारों पर क्या बीत रही होगी जिनके प्रिय जन वैमनस्य की इस आग में झुलस गये, भीतर पीड़ा को गहरा कर जाता है. कल की रात उनके लिए कितनी भारी पड़ी होगी, और न जाने कितनी आने वाली रातों को उन्हें जागना पड़ेगा. हर भारतवासी इस दुःख की घड़ी में शहीदों के परिवारों के साथ है. अब समय आ गया है कि इस छद्म युद्ध को आमने-सामने लड़ा जाये, इस अपरोक्ष युद्ध की बजाय मामला आर-पार की लड़ाई से हल किया जाये. भारत ने कभी युद्ध के लिए पहले कदम नहीं उठाया, किन्तु जब दुश्मन को दूसरी भाषा नहीं आती हो तो उसे उसकी ही भाषा में जवाब देना होगा.

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