Monday, August 1, 2022

पल-पल जीना सीखा जिसने


पानी पर खिंची लकीर की तरह मन में कोई भाव जगे और विलीन हो जाए तो उसके संस्कार नहीं पड़ते। बच्चों का हृदय ऐसा ही होता है, उन्हें रोते-रोते हँसते देर नहीं लगती, उनका अहंकार अभी मज़बूत नहीं हुआ है, बातों को पकड़कर रखने की अभी उन्हें जानकारी नहीं है। अहंकारी मन घटनाओं को पकड़ लेता है और वे उस पर गहरे प्रभाव डालती हैं। जीवनमुक्त पल पल में जीता है। हर क्षण उसके लिए नया अनुभव ला रहा है। प्रकृति भी नित नूतन है इसलिए  उसमें सौंदर्य है। कोई भी बात जब भावनाओं को प्रभावित न कर सके तब मानना चाहिए कि अपने स्वरूप में स्थिति दृढ़ हो गयी है।  


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