जीवन का हर नया पल एक उपहार की तरह हमें मिलता है. हम पुराने उपहार की मीनमेख निकालने में लगे रहते हैं या तो अब न जाने कौन सा उपहार मिलेगा इसकी चिंता में इस पल के उपहार को खोलना ही भूल जाते हैं. इस तरह वर्तमान सदा ही अतीत के पश्चाताप या भविष्य के भय का शिकार बनता रहता है. जो भी खुशी है वह इस क्षण में मिलती है, सुख की हर स्मृति बीते कल की छाया है. भविष्य की कल्पना कितनी भी सुखद हो वह वास्तविक नहीं है. वह चित्र की नदी की तरह प्यास नहीं बुझाती. शुद्ध, निर्दोष, वास्तविक सुख केवल वर्तमान में बिना किसी कीमत के सहज ही बंट रहा है, जिसकी सबको तलाश है. खेल, खतरे भरे कार्यो में, प्रेम में हम वर्तमान में होते हैं, तभी ख़ुशी का अनुभव होता है. केवल ध्यानी व्यक्ति सदा ही वर्तमान में रह सकता है.
वर्तमान में जीना वास्तविक सुख है, यह सत्य है। दूसरा सत्य यह भी है कि हम अतीत की स्मृतियों और भविष्य की चिंताओं से उबर नहीं पाते।
ReplyDeleteस्वागत व आभार रूपा जी, हम उबर सकते हैं यदि इसके लिए प्रयत्न करें। क्या आपने आर्ट ऑफ़ लिविंग का नाम सुना है, इसका हैप्पीनेस कोर्स कर लीजिए, कई सवालों का जवाब मिल जाएगा।
ReplyDeleteखेल, खतरे भरे कार्यो में, प्रेम में हम वर्तमान में होते हैं, तभी ख़ुशी का अनुभव होता है. केवल ध्यानी व्यक्ति सदा ही वर्तमान में रह सकता है. जीवन का सार यही है।
ReplyDeleteस्वागत व आभार दीदी, बिलकुल सही कहा है आपने, ध्यान में जीवन का सार छिपा है ।
Deleteसही कहा
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Deleteसुंदर जीवन बोध!
ReplyDeleteस्वागत व आभार विश्वमोहन जी !
Deleteजी अनीता जी,बहुत खूब लिखा है आपने।वर्तमान ही सुखद है।अतीत स्मृतियों का भंवर तो भविष्य अनिश्चित।हार्दिक आभार आपका इस सार्थक लेख के लिए 🙏🌷🌷🌺🌺
ReplyDeleteरेणु जी, वर्तमान के महत्व को आपने भी बखूबी बताया है, आभार !
Deleteजीवन का सार सीखने योग्य बहुत ही सारगर्भित सृजन।
ReplyDeleteस्वागत व आभार सुधा जी !
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