Tuesday, August 16, 2022

कर्त्तव्यों का जिसे भान रहे

 किसी भी राष्ट्र को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिए केवल सरकार ज़िम्मेदार नहीं होती, उसके नागरिकों का योगदान भी उसमें बहुत प्रमुख भूमिका निभाता है। एक बार यदि बहुमत से कोई सरकार चुन ली जाती है तो उसकी नीतियों को ज़मीनी स्तर पर उतारने के लिए जनता की भागीदारी की अत्यंत आवश्यकता है। संविधान में भारतीय नागरिक के मूल कर्तव्यों की चर्चा की  गयी है। हर नागरिक को उसका ज्ञान होना आवश्यक है. स्वच्छता अभियान पर सरकार चाहे करोड़ों रुपया खर्च करे, यदि देशवासी अपने आसपास गंदगी फैलाते रहेंगे, वन, झील, नदियों को दूषित करेंगे तो स्वच्छ भारत का स्वप्न कभी पूरा नहीं हो सकता। हर गाँव में सरकारी स्कूल खोले जाएँ पर लोग अपने बच्चों को पढ़ने न भेजें तो संविधान की अवहेलना होती है। हमारी प्राचीन धरोहरों  का सम्मान न करके यदि कोई उन्हें हानि पहुँचाए तो हम अपने कर्त्तव्य का पालन नहीं कर रहे। जल का सरंक्षण हो या ऊर्जा का, जनता को इसमें आगे आकर सम्मिलित होना होगा। सामाजिक कुरीतियों और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ने में भी आम आदमी को आगे आना होगा। यदि भारत का हर नागरिक सजग होकर हर प्रकार के उत्कर्ष को ही अपना ध्येय बनाएगा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत विकसित देशों के साथ खड़ा होगा। 

3 comments:

  1. बहुत बहुत आभार कामिनी जी!

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  2. सुंदर व सार्थक लेख

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  3. बहुत महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान आकर्षित करती सार्थक पोस्ट।

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