Friday, September 2, 2022

चाह ज्ञान की जगे निरंतर

जीवन अनुभवों का दूसरा नाम है। हर अनुभव हमें कुछ न कुछ सिखाता है। यदि हम सीखने को सदा जारी रखें तो जीवन एक सुंदर यात्रा बन जाता है। यदि कोई कुछ सीखना न चाहे तो उसके लिए जीवन एक संघर्ष बन जाएगा। बच्चा सीखता है, इसलिए उसका मन ताज़ा बना रहता है। विद्यार्थी सीखता है और नए-नए विषयों को जानकर चमत्कृत होता है। प्रौढ़ होते-होते जैसे-जैसे सीखने की चाहत कम होती जाती है और तब सीमित ज्ञान के सहारे जीवन को चलाए जाने में  सुरक्षा महसूस होती है। धीरे-धीरे जीवन से रस और आनंद सूखने लगता है। यह दुनिया अति विशाल है, इसके बारे में हम कितना कम जानते हैं। अपनी रुचि के अनुसार ज्ञान का कोई भी क्षेत्र लेकर हम उसके बारे में पढ़ें, सोचें व मनन करें तो कई नई बातों की ओर हमारा ध्यान अनायास ही जाएगा। कई ऐसी बातें हमें नज़र आ सकती हैं जो पहले नज़र अन्दाज़ कर देते थे।  नियमित ध्यान इसमें अति सहायक है। ध्यान हमें एक विषय पर केंद्रित रहने की कला सिखाता है। ज्ञान अनंत है और हमारी चेतना में ही निहित है। उसमें प्रवेश करने का तरीक़ा ध्यान, अध्ययन व मनन ही हो सकता है।  


8 comments:

  1. प्रेरणादायक और विचारणीय चिंतन। हार्दिक आभार।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार 4 सितम्बर, 2022 को     "चमन में घुट रही साँसें"   (चर्चा अंक-4542)  (चर्चा अंक-4525)
       
    पर भी होगी।
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    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  3. आपकी लेखनी से निकला हर शब्द प्रेरित करता है । इस चिंतनपूर्ण आलेख के लिए आपको बधाई दीदी ।

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  4. बहुत सारगर्भित आलेख अनिता जी.
    जैक ऑफ़ आल ट्रेड होने से बेहतर है कि हम मास्टर ऑफ़ वन ट्रेड हो जाएं. वैसे सीखने-सिखाने का सिलसिला हमेशा जारी रहना चाहिए.

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  5. बहुत सुंदर प्रभावशाली लेख।

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