Thursday, September 8, 2022

प्रकृति का सम्मान करें हम

जीवन जिस स्रोत से आया है और जिसमें एक दिन समा जाएगा, जिससे सब कुछ हुआ है, जो पंच भूतों का स्वामी  है, जो जगत का कारण है, उसे ही जानना है। यहाँ जो भी हो रहा है, उन सब कारणों का जो  कारण है। जो हमारे जीवन का आधार है। हवा, पानी, अग्नि, आकाश का जो जनक है, मानव ने उसे भुला दिया और दिशा विहीन सा आज भटक रहा है। मानव ने केवल अपने सुख-सुविधा को महत्व दिया। केवल शरीर को आराम देने के लिए बड़ी-बड़ी इमारतें बना कर रहने लगा। प्रकृति से दूर हो गया। कुछ दूर चलने के लिए भी वाहन का इस्तेमाल करने लगा, जो वायु प्रदूषण करते हैं। जल को दूषित किया। भोजन के लिए हज़ारों का जीवों का नाश किया। हिंसा को प्रश्रय देने वाला मानव आज स्वयं प्रकृति की विनाश लीला का सामना कर रहा है। मौसम की मार से बचने के लिए किए गए उपाय आज काम नहीं आ रहे हैं। कहीं जंगलों में आग लगी है, धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है,  अतिवृष्टि, बाढ़, तूफ़ान और भूकम्प आज सामान्य घटना बनते जा रहे हैं। वैज्ञानिकों की दी चेतावनी आज सत्य सिद्ध हो रही है। मानव को चेतना होगा कि जीवन को बनाए रखने के लिए प्रकृति के साथ सामंजस्य बनकर जीना ही उसके लिए एक मात्र उपाय है । 


6 comments:

  1. इस सुन्दर प्रस्तुति की चर्चा आज चर्चा मंच पर भी है।

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    1. बहुत बहुत आभार शास्त्री जी !

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  2. सही कहा आपने अनिता दी कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठना जरूरी है।

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    1. स्वागत व आभार ज्योति जी !

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