Monday, May 25, 2015

एक ही है सबका आधार

अप्रैल २००९ 
शेखसादी ने कहा है कि वह ज्योतिषी नहीं हैं पर इतना बता सकते हैं कि वह बदबख्त है जो दूसरों की हानि चाहता है क्योंकि वह उसकी ही झोली में पड़ने वाली है. किसी के प्रति द्वेष भाव भीतर ही बालन पैदा करता है. व्यक्ति का व्यक्ति के प्रति, जाति का जाति के प्रति, देश का देश के प्रति द्वेष भाव हो सकता है, पर इसका परिणाम उनके खुद के लिए ही हानिप्रद होता है क्योंकि हम सभी एक ही स्रोत से आए हैं. हमारे जीवन में जो भी घट रहा है, वह हमारे ही कर्मों का प्रतिफल है, हमने जो दिया वही मिल रहा है, जब यह ज्ञान भीतर स्थिर हो जाता है तब किसी के प्रति द्वेष रह ही नहीं सकता.  

2 comments:

  1. कर्मानुरूप सबको फल मिलता , यही नियम है रीति - नीति है ।
    सुन्दर सीख ।

    ReplyDelete
  2. स्वागत व आभार शकुंतला जी..

    ReplyDelete