अप्रैल २००९
शेखसादी ने कहा
है कि वह ज्योतिषी नहीं हैं पर इतना बता सकते हैं कि वह बदबख्त है जो दूसरों की
हानि चाहता है क्योंकि वह उसकी ही झोली में पड़ने वाली है. किसी के प्रति द्वेष भाव
भीतर ही बालन पैदा करता है. व्यक्ति का व्यक्ति के प्रति, जाति का जाति के प्रति,
देश का देश के प्रति द्वेष भाव हो सकता है, पर इसका परिणाम उनके खुद के लिए ही
हानिप्रद होता है क्योंकि हम सभी एक ही स्रोत से आए हैं. हमारे जीवन में जो भी घट
रहा है, वह हमारे ही कर्मों का प्रतिफल है, हमने जो दिया वही मिल रहा है, जब यह
ज्ञान भीतर स्थिर हो जाता है तब किसी के प्रति द्वेष रह ही नहीं सकता.
कर्मानुरूप सबको फल मिलता , यही नियम है रीति - नीति है ।
ReplyDeleteसुन्दर सीख ।
स्वागत व आभार शकुंतला जी..
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