Tuesday, May 26, 2015

भक्तिभाव जब उपजेगा

अप्रैल २००९ 
परमात्मा से बड़ा परमात्मा का सच्चा भक्त है, परमात्मा तो महान है ही, मानव होकर जो परमात्मा की ऊंचाई तक पहुंचा हो वह भी तो पुण्यात्मा हो जाता है. भक्ति साधन नहीं है, भक्ति साध्य है ! मार्ग चाहे कोई भी हो सभी का फल भक्ति है, आनंद की चाह ही भक्ति है, सुखी होने की कामना ही भक्ति है, ऐसा सुख जो कभी खत्म न हो, जो परमात्मा के समान अनंत हो ! वह परमात्मा जो मन, बुद्धि से पकड़ में नहीं आता, भक्ति ही उस रस को पा सकती है. मन के पार जहाँ न मन की चाह है, न अपमान का भय, न दुःख का त्याग है न सुख की पकड़, वही रस बरसता है, भक्ति महकती है !

No comments:

Post a Comment