डायरी के पन्नों से
जो पढ़ा, सुना व गुना !
Thursday, August 27, 2015
वही जीवन का सार है
जो
एक रस है, अपार है, सदा साथ है. जो जागृत है, प्रेममय है, सदा सुख है. जो सहज है, सदा पुकार दे रहा है, सच्चा मित्र है, वही जीवन में बहार है. जो सदा खुला हुआ द्वार है, सबको समो लेता है, जिसके बिना जीवन असार है. वही जीवन का आधार है.
2 comments:
Anita
August 27, 2015 at 2:22 AM
बहुत बहुत आभार राजेन्द्र जी
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अभिषेक शुक्ल
August 28, 2015 at 3:19 AM
सुन्दर प्रस्तुति।
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बहुत बहुत आभार राजेन्द्र जी
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
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