Tuesday, August 22, 2017

थम कर चलना जो सीखेगा

२३ अगस्त २०१७ 
इस जगत की कितनी सारी महत्वपूर्ण घटनाएँ अपने आप हो रही हैं, वायु बह रही है, श्वासें चल रही हैं, देह में रक्त का संचरण हो रहा है. जीवन का अनमोल उपहार हमें अकारण ही प्राप्त हुआ है. इसको सार्थक करना ही हमारा एकमात्र कर्त्तव्य है. जीवन अर्थपूर्ण तभी बनता है जब भीतर के शांति स्रोत का पता चल जाता है. जब तक कोई दुविधा है, जीवन एक संघर्ष ही नजर आता है. शांति का अनुभव करने के लिए ध्यान का अभ्यास अति आवश्यक है. जैसे कोई यात्री घंटों से चल रहा हो और एक वृक्ष की निर्मल छाया में पल भर को विश्राम करने के लिए रुक जाये. इस विश्राम के बाद चलने का उसका आनंद पहले से बढ़ जायेगा. इसी तरह सब कुछ छोड़कर कुछ पलों के लिए खाली होकर बैठ जाना और मन को देखते रहना चित्त को अनोखी विश्रांति से भर जाता है.


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