Friday, December 15, 2017

वर्तमान तय करता भावी

१५ दिसम्बर २०१७ 
हमारे द्वारा किया गया हर कृत्य चाहे वह भावना के स्तर पर हो, विचार के स्तर पर हो या क्रिया के स्तर पर हो अपना फल दिए बिना नहीं रहता. शास्त्रों में इसीलिए भावशुद्धि पर बहुत जोर दिया गया है, अशुद्ध भाव का फल भविष्य में दुःख के रूप में  मिलने ही वाला है यदि कोई इस बात को याद रखे तो तो किसी के प्रति अपने भाव को नहीं बिगाड़ेगा. व्यक्ति, परिवार, समाज अथवा किसी राष्ट्र के प्रति हो रहे अन्याय व भेदभाव को देखकर हम कितना नकारात्मक सोचने लगते हैं, हर घटना के प्रति प्रतिक्रिया देते हैं पर यह भूल जाते हैं कि हर विचार प्रतिफल के रूप में भविष्य में और नकारात्मकता लाने का सामर्थ्य रखता है. साधक को सजग रहना है और व्यर्थ के चिंतन से बचना है. प्रारब्धवश जो भी सुख-दुःख उसे मिलने वाला है उसके लिए किसी को दोषी नहीं जानना है. यदि वह स्वयं को कर्ता न मानकर मात्र साक्षी जानता है, तब किसी भी कर्म का फल उसे छू ही नहीं सकता.

No comments:

Post a Comment