Tuesday, August 7, 2012

जैसे जैसे वह मिलता है

 जुलाई २००३ 
जब ईश्वर का अनुभव हमें होता है तो वह हमारे विचारों, भावनाओं को पवित्र करना चाहता है. तब हम वही करना आरम्भ करते हैं जो उसे प्रिय हो, हम उसके साधन बन जाते हैं, वह हममें सामर्थ्य भरता है. परिपूर्ण करता है. सम्पूर्ण जीवन प्रदान करता है, जीवन्मुक्त करता है. विश्वास और श्रद्धा से ही आत्मा उजागर होती जाती है. हम उसकी महानताओं को प्रकाशित करने लगते हैं. हमारे माध्यम से वह स्वयं को ही प्रदर्शित करता है. जैसे-जैसे हम उसे समर्पित होते जाते हैं वही वह रह जाता है, हमारा झूठा अहं गिर जाता है. हमारा नया जन्म होता है. और ईश्वर का अनुभव होता है सदगुरु की कृपा से, वह एक ऐसा दिया है जो स्वयं जलकर औरों को प्रकाशित करता है. कठोर साधना के बाद जो उसने पाया है वह सहर्ष ही लुटा देता है. वह प्रेमवश हमारे अपराधों को सहता है. हमारी कमियों को दूर करने का रास्ता बताता है. उसका प्रेम अनंत है. उसे ईश्वर के निकट देखकर हमें भी ऐसी प्रेरणा होती है, वह हमें अपना सा बनाना चाहता है.

5 comments:

  1. विश्वास और श्रद्धा से ही आत्मा उजागर होती है,,,,

    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,

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  2. आस्था चमत्कार दिखाती है !

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  3. धीरेन्द्र जी, मनोज जी, वाणी जी आप सभी का स्वागत व आभार!

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  4. सुन्दर और गहनता से भरे शब्द ।

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