११ जुलाई २०१६
परमात्मा और हमारे बीच मल, विक्षेप व आवरण तीन बाधाएँ हैं. संचित पाप तथा देह के विकार ही मल हैं, मन
की चंचलता व दुर्गुण ही विक्षेप है तथा मोह व अज्ञान का आवरण है. ये सभी दूर हो
जाएँ तो परमात्मा हमारे सम्मुख ही है. हमारी प्राणशक्ति जितनी अधिक होगी भीतर उत्साह
रहेगा, समाधान रहेगा, प्राणशक्ति घटते ही रोग भी घेर लेते हैं तथा मन भी संदेहों
से भर जाता है. देह में हल्कापन लगे तो प्राणशक्ति अधिक है, भारीपन लगे तो शक्ति कम
है.
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