Wednesday, July 20, 2016

मन हुआ जब सहज संतोषी

२१ जुलाई २०१६ 
हमें अपनी प्राथमिकताओं को समझना होगा. जीवन में हम क्या चाहते हैं, क्या सुख-सुविधा जुटाना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य है. स्वयं को स्वस्थ व सुरक्षित बनाये रखने में ही क्या हमारी सारी ऊर्जा व्यय होती है. इन सबको प्राप्त करते हुए क्या भीतर तनाव भी होता है. यदि हाँ, तो हम जो चाहते हैं हमारे कर्म उसके विपरीत हैं, वे हमें अपने लक्ष्य से दूर ही ले जायेंगे. जीवन स्वयं में आनन्द है, जीवन मात्र ही अनंत सुख का स्रोत है, क्या इसका अनुभव होने पर कोई अभाव रहेगा. संतोष तब सहज स्वभाव बन जायेगा और स्वास्थ्य तब प्राप्त करना नहीं होगा, हम स्व में ही स्थित रहेंगे.  

3 comments:

  1. काश आज का मानव भौतिक सुख के पीछे भागने की जगह स्व-आनंद का महत्व समझ पाता. बहुत सुन्दर ...

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  2. नेक विचार प्रस्तुति

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  3. जीवन को व्यर्थ की चीजों से न भरें। सार्थक विचार ।

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