Wednesday, September 14, 2016

सत्यं शिवं सुंदरं

१५ सितम्बर २०१६ 
जीवन हजार रूपों में हमारे सम्मुख आता है और हर रूप एक से बढ़कर एक होता है. अभी धूप खिली थी और न जाने कहाँ से बादलों का हुजूम चला आता है, बरसने लगता है. प्रकृति भरपूर है, वह अपनी नेमतें हर पल लुटा रही है. जीवन का आधार इस सौन्दर्य के पीछे छिपा है. वही हर कृत्य को अर्थ से भर देता है, मनसा, वाचा, कर्मणा हमारा हर छोटा-बड़ा कृत्य उसी से उपजा है और उसी के लिए है जब यह सत्य उद्घाटित होता है तब मानो हर तरफ जीवन खिलता हुआ प्रतीत होता है. 

1 comment:

  1. प्रकृति के रंगों से सजा जीवन...बहुत सुन्दर !

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