नरेन से स्वामी विवेकानंद बनाने की गाथा से कौन भारतीय अपरिचित है।भारत के युवाओं के खोए हुए आत्मविश्वास को पुनः लौटने के लिए जितना बड़ा योगदान विवेकानंद ने किया है, वह अतुलनीय है। उनके ओजस्वी भाषण पढ़कर आज भी हज़ारों युवा मन आंदोलित होते हैं। ”उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्त वरान्नि बोधत” का संदेश देकर उन्होंने भारतीय होने के मूल उद्देश्य को स्वर दिए हैं। अनंत काल से जिस दिव्य वाणी का उद्घोष हमारे वेद करते आ रहे हैं, उसे भुलाकर जब देशवासी दासता, अशिक्षा, कुरीतियों और अंधविश्वास की ज़ंजीरों में जकड़े हुए थे, तब उनके रूप में जैसे नव आशा का बिगुल बजा हो या आकाश में कोई सूर्य दमका हो। उनके इस महान कार्य को संपादित करने में उनके गुरू की भूमिका से भी सभी परिचित हैं। स्वामी रामकृष्ण परमहंस के दिव्य ईश्वरीय प्रेम और दिव्य शक्तियों के कारण वह उनकी ओर खिंचते चले गए और उन्हीं के ज्ञान व उपदेशों को आत्मसात करके जगत में दिव्य संदेश देने निकल पड़े। आज उन्हीं महापुरुष की जयंती है।
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बृहस्पतिवार (13-1-22) को "आह्वान.. युवा"(चर्चा अंक-4308)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामिनी जी!
Deleteउत्तम और ज्ञान वर्धक सृजन आदरणीया
ReplyDeleteउत्कृष्ट श्रृद्धांजलि स्वर , सच वे सूरज के समान ही आलोकित हो युवा वर्ग ही नहीं सभी तरह के संघर्षों के प्रतिकार की वाणी थे जो थे।
ReplyDeleteकोटि कोटि नमन उन सिद्ध पुरुष को।
सुंदर भाव लेख।
नमन तेजस्वी महापुरूष को।
ReplyDeleteसादर।